Friday, November 20, 2009

Playback Singer Sharda - Ujaale Unki Yaadon Ke-Part2 (20.9.09)


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी



Sharda had made her grand debut in hindi film industry with the movie-Suraj, the music for which was composed by arguably the best and most popular ever MDs in HFM: Shankar - Jaikishan.(शंकर-जयकिशन से सम्बन्धित विस्तृत, दिलचस्प जानकारी की लिंक्स के लिए क्लिक करें - शंकर-जयकिशन)










Interview with Playback Singer Sharda on Vividh Bharti (20.9.09)

उजाले उनकी यादों के
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विविध भारती पर प्रसारित पार्श्व गायिका शारदा का साक्षात्कार
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एपिसोड 2 (20/09/2009)
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श: शारदा
यूख़ा: यूनुस ख़ान

यूख़ा: शारदा जी, विविध भारती के “उजाले उनकी यादों के” कार्यक्रम में आपका एक बार फिर से स्वागत है. मैं सोच रहा हूं कि किस सवाल से शुरू किया जाए यह 'एपिसोड'! सन 1970 पर आते हैं. आप को फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिला था, बहुत 'ग्लोरीयस मोमेंट' था.
श: 'ग्लोरीयस', क्या है यह "तितली उड़ी" जो है, "तितली उड़ी" को, रफ़ी साहब को "बहारों फूल बरसाओ" को जितने 'वोट्स' मिले, उतने इसको भी मिल गये, तो फ़िल्मफेयर वालों ने कहा कि अब क्या किया जाए, 'टाई' हो गया है. 'सो, दे अनाउन्स्ड अ स्पेशल अवॉर्ड', और करंजिया साहब का 'लेटर' मेरे पास आया कि इस साल से 'मेल प्लेबॅक' और 'फीमेल प्लेबॅक' के दो 'अवॉर्ड्स' करने वाले हैं. तब से जाकर 'अवॉर्ड' हुआ है.

यूख़ा: वाह वाह वाह वाह, उसके बाद फिर आपको 'अवॉर्ड' मिला?
श: जी
यूख़ा: सन 70 में.
श: जी
यूख़ा: जहाँ प्यार मिले फिल्म के लिए
श: जी, "बात ज़रा है आपस की"
यूख़ा: उस गाने के बारे में बताइए.
श: वो भी एक 'डिफरेंट' तरह का गाना है, उसमें साँस को खींच-खींच के गाने का...
यूख़ा: किस तरह? ज़रा हमें गाके सुनाएं.
श: (.) "बात ज़रा है आपस की, सारी दुनिया हो गयी मेरी, बोल मैं हूं किसकी..."
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सॉंग: बात ज़रा है आपस की (जहाँ प्यार मिले)
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यूख़ा: एकदम अलग तरह का गाना था, और इसका हक़ बनता था 'अवॉर्ड' का.
श: जी हां
यूख़ा: कैसा महसूस हुआ था जब फ़िल्मफेयर के मंच पर आप ने 'अवॉर्ड' लिया था?
श: बहुत अच्च्छा. 'फर्स्ट टाइम' उठाया तो मेरे से उठाया नहीं गया (यूख़ा लाफ्स)
यूख़ा: किसके हाथों से मिला था?
श: यह तो... देव आनंद साहब ने दिया

यूख़ा: ओह... क्या बात है, मैने सुना है कि आप ने फ़िल्मफेयर समारोह में भी कई बार गाने गाए हैं?
श: जी हां
यूख़ा: तो कैसा 'रेस्पॉन्स' रहा था?
श: बहुत... मुझे तो 'पब्लिक' ने बहुत ही पसंद किया था. ठीक है मुझे 'इंडस्ट्री' में कुछ लोगों ने पसंद नहीं किया, वो तो भीतर की बात है, 'यू नो दे हॆड सम सॉर्ट ऑफ वेंजन्स अगेन्स्ट मी – आई डोंट नो', लेकिन 'पब्लिक' में तो बहुत लोगों ने मुझे पसंद किया, और अगर एक आदमी ने भी मुझे पसंद किया तो 'देन इट इस अ सक्सेस टु मी'. और मैने देखा कि इतने लोगों ने मुझे पसंद किया, और अभी तक मुझे सुनना चाहते हैं. और अभी मैं देखती हूं कि नये डीवीडीज़ में मेरे गाने सब काटा जा रहे हैं, 'इट्स वेरी डिस्टर्बिंग यू नो'. 'आई हॅव नॉट संग मॆनी सॉंग्स'. मैने बहुत 'लिमिटेड सॉंग्स' गाए हैं, उसको भी निकालना चाहते हैं. 'आई डोंट नो वाइ दे आर डूइंग दिस टु मी'.

यूख़ा: आपने मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, आशा भोसले, किशोर कुमार और येसुदास के साथ भी गाए हैं.
श: मोहम्मद रफ़ी, मुकेश जी, महेंद्र कपूर, मन्ना डे साहब, येसुदास और सुरेश वाडकर, सब के साथ गाई हूं.

यूख़ा: किशोर कुमार के साथ गाना मुश्किल समझा जाता था क्योंकि उनका एक 'मूड', एक 'अलग 'ट्रॅक' चलता रहता था, बताइए कैसी थी किशोर कुमार के साथ 'रेकॉर्डिंग्स' .
श: किशोर दा के साथ भी अच्छा था, 'ही वॉज़ वेरी सपोरटिव', उस समय के सारे 'सिंगर्स' बहुत 'सपोरटिव' थे, मुझे बच्चे की तरह 'ट्रीट' करते थे. 'वॉइस' भी ऐसा था कि बहुत 'यंग' लगता था, जो कच्चापन है वोही शायद लोगों को अच्छा लगा होगा!

यूख़ा: बिल्कुल-बिल्कुल. आज जब उस ज़माने के बारे में सोचती हैं तो कैसा लगता है?
श: बहुत अच्च्छा लगता है. जब सब पूछते हैं कि कैसे होता था बताओ, बहुत अच्छा लगता है.
यूख़ा: अभी आपका एक गाना सुनेंगे, फिर बात करेंगे. सीमा फिल्म का गाना है "जब भी ये दिल उदास होता है".
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सॉंग: जब भी ये दिल उदास होता है (सीमा)
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यूख़ा: "जब भी ये दिल उदास होता है", रफ़ी साहब थे...
श: रफ़ी साहब थे, मैं भी थी.
यूख़ा: कहाँ 'रेकॉर्ड' हुआ था?
श: यह भी फेमस में हुआ था.
यूख़ा: इसके लिए भी 'रिहर्सल' हुई थी? कितने 'रिटेक्स' हुए थे?
श: उस ज़माने में तो चाहे रफ़ी साहब हो या मुकेश जी, मैने सुना है लता जी ऑल्सो यूज़्ड टु डू मॆनी रिहर्सल्स. 'रिहर्सल' के बिना कोई नहीं 'रेकॉर्डिंग' में जाते थे. मैं जब 'म्यूज़िक डाइरेक्टर' बनी तो रफ़ी साहब यूज़्ड टु कम टु माय हाउस टु डू रिहर्सल्स, कॅन यू इमॅजिन दॆट? और दूसरी 'रेकॉर्डिंग' में जाने से पहले 9 बजे मेरे यहाँ आके 'रिहर्सल' करके जाते थे. इतने 'सिंपल' लोग थे.
यूख़ा: आप ने 'म्यूज़िक डाइरेक्शन' भी दिया है, यह भी एक पक्ष है आपका, आप ने कई फिल्मों में संगीत दिया है.
श: ह्म्‍म्म्म, मां, बहन और बीवी, "अच्छा ही हुआ दिल टूट गया", यह 'बेस्ट सॉंग' में आया.
यूख़ा: क्या बात है!
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सॉंग: अच्छा ही हुआ दिल टूट गया (मां, बहन और बीवी)
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यूख़ा: कितना मुश्किल था आपके लिए 'म्यूज़िक डाइरेक्टर' बनना? क्योंकि आप एक 'सिंगर' थीं, और कितना 'रिस्क' था?
श: मैं सोचती थी, उन दीनो 'पॉप सॉंग्स' नहीं हुआ करते थे.
यूख़ा: आपने अपना एक 'अल्बम' निकाला.
श: हां, मैने एचएमवी से कहा कि 'फिल्म सॉंग्स' ही चल रहे हैं अभी, 'फिल्म सॉंग्स' के अलावा भी कुछ करना चाहिए, सिर्फ़ भजन्स और ग़ज़ल्स ही करते हैं, तो 'लाइट सॉंग्स' भी होना चाहिए. 'देन दे आस्क्ड मी टु डू वन सॉंग'. तो मैने एक ईपी, उन दीनो ईपी आता था, 4 सॉंग्स' का. तो मैने 6-8 'म्युज़ीशियन्स' लेकर एक गाना बनाया. उनको बहुत पसंद आया, फिर दूसरा भी किया, तीसरा भी किया, '3 पॉप सॉंग्स ईपी' मैने 'रिलीज़' किया. फिर 'प्रोड्यूसर्स' उन गीतों को सुनकर मेरे पास आए कि इस तरह का गीत हमको चाहिए क्योंकि यह कम 'बजेट' में होता है. उन दिनों शंकर जयकिशन, और और लोग जो हैं, वो लोग बड़े बड़े 'ऑर्केस्ट्रा' रखते हैं और काफ़ी 'एक्सपेन्सिव' होता है, और 'मीडियम बजट' वाले 'प्रोड्यूसर्स' के लिए परेशानी हो जाती थी. तो छोटे 'बजट' वाले बहुत से 'प्रोड्यूसर्स' मेरे पास आए, मैने बहुत सारे 'पिक्चर्स साइन' किया, बहुत सारे 'पिक्चर्स' बनकर 'रिलीज़' भी हुए, उसके बाद 'इंडस्ट्री' का भी कुछ 'बॆड' दौर आने लगा और वो सब कुछ निकल गया.

यूख़ा: 1968 में 'पॉप सॉंग्स' करना अपने आप में एक नयी बात थी.
श: 'फर्स्ट टाइम', यहाँ पर 'लाइफ मॅगज़ीन' में किसी ने 'लेटर' लिखा कि 'फर्स्ट टाइम' इंडिया में 'पॉप सॉंग्स' आया हुआ है, उस 'मॅगज़ीन' में 'लेटर' आया.
यूख़ा: वाह
श: 'अब्रॉड' में 'मॅगज़ीन' में आया था.

यूख़ा: कितनी सारी भाषाओं में गाने गाए होंगे?
श: मैं तो मराठी में गाई, पंजाबी में, गुजराती में, तमिल, तेलुगु, और मलयालम में.
यूख़ा: वाह! हमारे दक्षिण के श्रोता हैं, दक्षिण में विविध भारती खूब सुना जाता है. तो हमारे दक्षिण के श्रोताओं के लिए तमिल गीत गुनगुना दीजिए.
श: तमिल में तो मैं गाती नहीं हूं, अभी 'कंपोज़' कर रही हूं.
यूख़ा: कुछ भी सुना दीजिए.
(श) सिंग्स अ तमिल सॉंग.
यूख़ा: मेरे को तो कुछ समझ में नहीं आया. इसका क्या मतलब है?
श: यह सुब्रहमण्यम भारती का 'लिरिक्स' है
यूख़ा: ओ हो!
श: 'इन्डिपेंडेन्स' मिल गया करके यह 'हॅपी सॉंग' गा रहे हैं.
यूख़ा: आज़ादी मिल गयी है इसलिए खुशी के गीत गा रहे हैं.
श: जी

यूख़ा: क्या बात है. अच्छा शारदा जी, अपने गले को दुरुस्त रखने के लिए क्या करती थीं आप? मैने सुना है कि बहुत संभालना पडता है 'सिंगर्स' को, और आप तो बहुत 'यूनीक' किस्म की 'सिंगर' रहीं?
श: मैने बीच में, 'यू नो', गाना बंद कर दिया था, कुछ वजह थी, तब मैं बैठकर थोड़ा गुनगुनाया करती थी. तब मैने थोड़ा 'रिसर्च' किया. हाउ नवल वॉइस कम्ज़ फ्रॉम, यू सी'. उसको किस तरह से 'कंट्रोल' करके किस तरह से 'मॉड्यूलेट' करना है, 'बिकॉज़ म्यूज़िक' के ऊपर हमारा पूरा वेद है, सामवेद में पूरा बताया है.

यूख़ा: बिल्कुल

श: 'देन आई प्रोग्राम्ड वन प्रोग्राम ऑन वॉइस मेंटेनेन्स' , 'वॉइस' का 'कल्चर' कैसे करना चाहिए, उसके साँस लेने का जो तरीका है, जो 'पोस्चर' है, और 'वॉइस' का 'पावर' कहाँ पे कितना 'अप्लाइ' करना है, क्योंकि आप जितना 'पावर अप्लाइ' करते हो, 'वॉइस' का उतना 'फोर्स' आता है. अगर आपकी मां यहाँ खडी हैं तो आप धीरे से उसको बुलाएँगे. अगर वो दूर खडी है तो आप 'फोर्स अप्लाइ' करेंगे. तो ऐसे 'वॉइस' का पूरा 'कंट्रोल' अपने अंदर लेके, जैसे 'प्लेन' को चलाते हैं, 'प्लेन' को 'कंट्रोल' करना पडता है, वैसे मैने 'वाइस कल्चर प्रोग्राम' किया है, अपने 'स्टूडेंट्स' को भी देती हूं, दो-तीन दिन का 'वर्कशॉप' करती हूं और 'ऑनलाइन' भी देती हूं. 'दिस इज़ वेरी इंपॉर्टेंट'. कितने ही लोग गीत गाए हैं, लेकिन बहुत कम लोग हैं जिनके गीत आपको याद रहे हैं. तो क्यों याद है, क्योंकि दिल को 'टच' किया, 'सौल' को 'टच' किया. वो 'टच' इसलिए करता है कि आपका 'वॉइस कल्टिवेटेड' है. तो 'वॉइस कल्टिवेट' होने के बाद आप कुछ भी गाना गाइए, कैसे भी 'म्यूज़िक' सीखिए.
यूख़ा: बहुत अच्छी बातें बताई हैं, ख़ास कर जो हमारे युवा श्रोता हैं...
श: 'दिस इज़ गुड फॉर एनिवन यू नो', क्योंकि 'टॉकिंग' के लिए भी 'वॉइस कल्चर' करना ज़रूरी है, आप कोई 'मीटिंग' में जाते हैं, कोई 'कन्वेन्शन' में जाते हैं, 'यू नो युअर वॉइस होल्ड्स युअर पर्सनॅलिटी' . आप अपने 'वॉइस' के दम से लोगों को अपने इसमें करते हैं.
यूख़ा: सही है
श: तो इसलिए 'वॉइस कल्चर' सबको करना चाहिए.

यूख़ा: अब एक गाने की तरफ चलते हैं. फिल्म गुमनाम का गीत मुझे याद आ रहा है जो बहुत मशहूर है, आप गुनगुनाएँगी ज़रा? "जाने-चमन"
श: "जाने-चमन" में मैं पहली बार रफ़ी साहब के साथ गा रही थी. मैने उनसे कहा कि 'रफ़ी साहब, मैं कल तक आपकी 'फॆन' थी, और आज आपके साथ खडी होकर गा रही हूं, मैं कैसे गाऊंग़ी?' तो बोले ' नहीं नहीं, बहुत अच्छा गाती हैं आप'. तो 'रिहर्सल' के 'टाइम' पे उन्होने मुझे दीक्षा दी. दीक्षा क्या होता है कि 'रेग्युलर टीचिंग' नहीं होती है, एक उपदेश की तरह होता है, वो हमेशा अपने पास रखने के लिए एक रत्न जैसा होता है. पुराने ज़माने में गुरु लोग उपदेश देकर चले जाया करते थे. शिष्य लोग अपने आप ही करते- करते उसको 'अचीव' किया करते थे. इसीलिए सिद्धि बोलते हैं. इसलिए विद्यार्थी बोलते हैं, विद्या के अर्थ को समझकर उसको समझना. तो उन्होने कहा कि साँस लेकर के सुर भरना. तो साँस लेकर के उन्होने गाया (सिंग्स) "जाने-चमन शोला बदन पहलू में आ जाओ". वो ऐसे गा रहे थे, मैं तो हल्का गा रही थी (सिंग्स) "ओ मेरे दिल मेरे हमदम बाहों में आ जाओ". अभी मैं भी उनकी तरह गाऊं तो (सिंग्स) "ओ मेरे दिल मेरे हमदम बाहों में आ जाओ". इसमें 'फुल पावर' के साथ गाने जैसा हो रहा है. यूखा: क्या बात है, क्या बात है
श: ऐसे उसका 'वेरीयेशन्स' है.
यूख़ा: बहुत बढिया है. आपने उसको जिस तरह से 'डेमोन्स्ट्रेट' किया कि गाने में कहाँ, किस तरह से 'फोर्स' लगाया जाता है और सुर कैसे लगाया जाता है...
श: अगर 'फोर्स' लगाएँगे तो उसके अंदर बहुत सारी 'फीलिंग्स' डाल सकते हैं. अगर 'फोर्स' नहीं है तो वो एक ही जैसा 'मेकॅनिज़म' आ जाएगा. हर गाने में एक ही 'टोन', एक ही हरकत, एक ही 'फीलिंग्स' आएगी.
यूख़ा: इस गाने के बारे में इतना कुछ आपने बताया कि रफ़ी साहब ने कैसे आपको 'गाइड' किया था, कैसे आप 'एक्सप्रेशन्स' लाई थीं, तो क्यों ना यह गाना सुन लिया जाए!
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सॉंग: जाने-चमन शोला बदन (गुमनाम)
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--------------एंड ऑफ एपिसोड-2--------------------------